भारत की खोज किसने की और कब की और कैसे हुई

 

भारत की खोज किसने की और कब की -

 

नमस्कार मित्रो, आज की हमारी इस पोस्ट में हम बात करने वाले है भारत की खोज के बारे में जिसमे हम जानेंगे भारत की खोज किसने की थी और कब की गयी थी

दोस्तों हमारे देश का इतिहास काफी पुराना है और यहाँ कई बड़े बड़े राजाओं ने राज किया है, उस समय भारत अखंड भारत हुआ करता था लेकिन धीरे धीरे बहुत से विदेशी लोग भारत पर आकर राज करने लगे।

पहले मुग़ल आये और उन्होंने राज किया और उसके बाद अंग्रेज और जब हमारा देश इनसे आजाद हुआ तो यह कई खंडों में बँट गया।

लेकिन इन विदेशी लोगो के आने से पहले दुनिया को भारत के समुंद्री रास्तों के बारे में जानकरी नहीं थी तो ऐसे में बहुत से लोगो के मन में सवाल उठता है की आखिर सबसे पहले भारत का पता किसने लगाया होगा या भारत का खोजकर्ता कौन है?

अगर आपके मन में भी ऐसा ही कोई सवाल है तो निश्चिंत हो जाइये क्योकि इस पोस्ट में हम आपको इस विषय की पूरी जानकारी देने वाले है/

भारत की खोज सन 1498 में एक पुर्तगाली नाविक और खोजकर्ता वास्कोडिगामा ने की थी। वास्कोडिगामा ने भारत के लिए अपनी पहली यात्रा 8 जुलाई 1497 को अपने चार और नाविक दलों के साथ शुरू की थी।

वास्कोडिगामा की यह यात्रा 20 मई 1498 को पूरी हुई जब उन्होंने पहली बार भारत के वर्तमान राज्य केरल के कालीकट तट पर अपना पहला कदम रखा था।

अपनी इस पहली यात्रा के दौरान वास्कोडिगामा लगभग 3 महीनो तक भारत में ही रहे थे और व्यापर के सिलसिले में कई व्यापारियों से मुलाकात भी की थी। इसके बाद वास्कोडिगामा ने भारत में दो बार और यात्रा की और अंत में उनका देहांत भी भारत में ही हो गया था।

वास्कोडिगामा का जन्म सन 1460 में पुर्तगाल के सीन्स शहर में हुआ था। यह एक रईस परिवार से थे। वास्कोडिगामा पहले यूरोपियन व्यक्ति थे जो समुन्द्री मार्ग से भारत पहुंचे थे।

इन्होने ही सबसे पहले यूरोप से एशिया तक का सफर समुंद्री मार्ग से किया था। वास्कोडिगामा ने अपनी पहली यात्रा 1497-1499 में की थी और इस यात्रा के दौरान वह काफी दिन भारत को समझने के लिए भारत में ही रहे थे।

भारत की खोज कैसे हुई

वास्कोडिगामा पहले व्यक्ति थे यूरोप से भारत तक समुंद्री मार्ग से आये थे इसलिए उन्हें ही भारत का खोजकर्ता कहा जाता है। वैसे तो वास्कोडिगामा से भी पहले सिकंदर, अरब जैसे कई घुसपैठिये भारत में आये थे लेकिन यह सभी समुन्द्र मार्ग की बजाय स्थलीय मार्ग से आये थे।

वास्कोडिगामा ने भारत की कुल तीन यात्रा की थी जिसमे सबसे पहले वह भारत की खोज के दौरान आये थे और दूसरी बार व्यापार के सिलसिले में तो तीसरी बार वास्कोडिगामा पुर्तगाली गर्वनर बनकर भारत आये थे।

वास्कोडिगामा ने भारत की खोज के लिए अपनी पहली यात्रा 8 जुलाई 1497 में शुरू की थी। इनके साथ चार नाविक दल और भी थे और इन्होने अपनी यह यात्रा गेब्रियल और राफेल जहाज से पूरी की थी।

वास्कोडिगामा के इस यात्रा के दौरान उनके मार्ग में कई पड़ाव और परेशानियां आयी थी। रास्ते में यह अफ्रीका महाद्वीप के मोजाम्बिक, मोम्बासा द्वीप पर ठहरे थे और वहां से हिंदमहासागर से होते हुए यह भारत के वर्तमान राज्य केरल के कालीकट तट पर पहुंचे थे।

कालीकट तट पर उस समय कालीकट के तत्कालीन राजा जमोरिन ने वास्कोडिगामा का अच्छे से स्वागत किया। उसके बाद वास्कोडिगामा ने कई दिनों तक व्यापार के लिए व्यापारियों से मुलाकात की।

वास्कोडिगामा ने अपनी दूसरी यात्रा 1502 ईस्वी में पूरी की थी और अपनी यहाँ यात्रा वास्कोडिगामा ने भारत से व्यापार के लिए ही की थी।

उसके बाद वास्कोडिगामा ने जब भारत की तीसरी यात्रा की तो इस दौरान सन 1524 में वास्कोडिगामा मलेरिया की बीमारी से ग्रसित हो गए और भारत के कोचीन शहर में ही इनका देहांत हो गया।

वास्कोडिगामा द्वारा की गयी भारत की खोज को इतिहास के पन्नो में काफी महत्वपूर्ण खोज माना गया है। कोलंबस द्वारा की गयी अमेरिका की खोज से भी महत्वपूर्ण भारत की खोज को बताया गया है।

और अगर आपको नहीं पता तो बता दे कोलंबस ने भी भारत की खोज के लिए ही स्पेन से अपनी यात्रा शुरू की थी लेकिन वह अमेरिका पहुँच गया और इस तरह अमेरीका की खोज हो गयी।  

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